पुराने हो जाते हैं
एक दिन
कागज, कलम, दवात, स्याही
पुराना हो जाता है कवि,
एक दिन सारी पुस्तकें
सारे पाठक हो जाते हैं
एक न एक दिन पुराने
हो जाते हैं एक दिन
मुद्रक, प्रकाशक, वितरक,
आलोचक सबके सब पुराने
आख़िर एक दिन
समय भी हो जाता पुराना
दुख चाहे हो कितना भी नया
कविता कभी होती नहीं पुरानी
-जयप्रकाश मानस
वर्तमान में आदरणीय जयप्रकाश जी मानस
छत्तीसगढ़ शासन में वरिष्ठ अधिकारी हैं
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